एडमिशन ही नहीं और मांग रहे तीन महीनों की ट्यूशन फीस ,, प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों से परेशान हैं पालक

खरसिया : लॉकडाउन के दौरान स्कूली शिक्षा पूरी तरह प्रभावित हो गई है। वहीं निजी स्कूलों की मनमानियां चरम पर देखी जा रही हैं। शुक्रवार को बिना एडमिशन के ही ट्यूशन फीस बकाया होने का हवाला देते हुए टीसी देने से इनकार करने का मामला प्रकाश में आया है।

 

 

ग्राम बिंजकोट निवासी दिगंबर पटेल ने बताया कि उनका पुत्र हरीश नहरपाली स्थित डीएवी मोनेट स्कूल में पढ़ता है। वहीं आठवीं उत्तीर्ण होने के बाद अन्यत्र कहीं पढ़ाने के लिए जब स्कूल प्रबंधन से टीसी की मांग की गई, तो उन्होंने 6500 रुपए ट्यूशन फीस बकाया होने का हवाला देते हुए पैसा जमा करवाने के बाद टीसी देने की बात कही। उल्लेखनीय होगा कि हरीश ने आठवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नवमी में एडमिशन भी नहीं लिया है। यहां तक की संक्रमण काल के कारण वह मार्कशीट लेने भी स्कूल नहीं गया। वहीं प्रत्येक निजी स्कूल ट्यूशन फीस पूरी जमा होने के बाद ही परीक्षा में बैठने की अनुमति देता है। ऐसे में जब अगली कक्षा में एडमिशन ही नहीं लिया गया, तब भी ट्यूशन फी की मांग करना पूरी तरह अनुचित है। वहीं कोरोना काल में मानवता को परे रख पालकों को परेशान करने जैसा है।

 

यह दुकान है या संस्थान ?

मोनेट डीएवी की मनमानियां से परेशान पालक ने बताया कि शुक्रवार को बीईओ एके भारद्वाज से इस बात की शिकायत करते हुए शिकायत पत्र प्रस्तुत करना चाहा। तब उन्होंने तत्काल स्कूल प्रबंधन को कॉल कर हितायदी लहजे में कहा कि बात को आगे ना बढ़ाएं, व्यवस्था करें। वहीं पालक को लिखित आवेदन की आवश्यकता नहीं, कह कर टरका दिया। ऐसे में यह प्रश्न जरूर बनता है कि यह कोई परचून की दुकान का मामला नहीं वरन शिक्षा संस्थान है, फिर लिखित शिकायत पत्र से आनाकानी क्यों ? वहीं यह भी कहना होगा कि एक मात्र यही मामला नहीं अनेक निजी स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों एवं पालकों पर ट्यूशन फी के लिए पर्याप्त दबाव बनाया जा रहा है।

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