हमारे देखने का नजरिया ही जीवन की कला है: डॉ. योगेंद्र चौबे

  • जगदलपुर।युवा फिल्म निर्देशक, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय,खैरागढ़ के नाट्य विभाग के सहायक प्राध्यापक व एनएसडी के पूर्व छात्र डॉ. योगेंद्र चौबे ने सिनेमा व रंगमंच के बदलते प्रतिमान विषय पर बतौर वक्ता ‘बस्तर टॉक’ पहले सीजन में शामिल हुए।उन्होंने कहा कि जिंदगी में किसी चीज को देखने की नजरिया ही आपके भीतर की कला को विकसित करता है और उसी के माध्यम से आप प्रदर्शन कला के साथ जुड़कर अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा और रंगमंच समाज का दर्पण है , जहां हम अपने प्रतिबिंब को खोजते हैं।


राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र डॉ. चौबे ने कहा कि वर्तमान में सिनेमा और रंगमंच की विधा में काफी बदलाव आया है तो हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि इन विधाओं का आज अत्यधिक विकेंद्रीकरण हुआ है। जिससे हम अधिक से अधिक लोगों को इस माध्यम से जुड़ पा रहे हैं। इसे देखने का नजरिया काफी बदला है और यह माध्यम और भी सहज भी हुआ है। उन्होंने कहा कि आपके विचार और आपके सामने मौजूद बाजार में संतुलित बिठाकर इस विधा से स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं।यह एक स्वर्णिम युग है। इस समय सिनेमा बनाना बहुत सहज हुआ है। उन्होंने कहा कि बस्तर की लोक कलाओं की चर्चा पुरी दुनिया में है।इसकी वजह यहां की मौलिक नृत्य शैली और नाट्य शैली है। यहाँ की नाट्य शैली भतरा नाट ऐसी विधा है। जिस पर वहां के लोक कलाकार और रंगकर्मी बेहतर काम कर रहे हैं।इस विधा को आम जन तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जीवन के रण में सफल होने के लिए इस में प्रशिक्षण जरूरी है। सिनेमा व रंगमंच की विधा में युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित होकर आना चाहिए ताकि वे खुद को सिद्ध कर एक मुकाम प्राप्त कर सकें।

Live Share Market

जवाब जरूर दे 

क्या सक्ती जिला अपनी आशानुरूप जिला स्तर का स्वरूप प्राप्त कर रहा है ??

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Back to top button
.
Website Design By Bootalpha.com +91 8448265129
.
Close