हबीब तनवीर स्मृति आनलाईन नाट्य समारोह,, सामाजिक घटनाओं एवं व्यवस्थाओं का चित्रण

 

रायपुर: संगम नाट्य समिति के फेसबुक पेज पर लाइव हबीब तनवीर स्मृति नाटय महोत्सव में आज का नाटक खदेरूगंज का रूमांटिक ड्रामा का लाइव प्रदर्शन किया गया।

संगम नाट्य समिति के 05 दिवसीय आनलाइन हबीब तनवीर स्मृति नाट्य समारोह मे चौथे दिवस 04 सितंबर 2020 को संगम नाट्य समिति के फेसबुक लाइव पेज में दुर्गेश सिंह लिखित नाटक खदेरूगंज का रूमांटिक ड्रामा विशाल आचार्य के निर्देशन में सघन भोपाल के कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया गया।

 

 

नाटक की कहानी रामलीला के एक निर्देशक बुल्ला मास्टर के इर्द गिर्द बुनी गई है।जो कि गांव में पिछले 10 सालों से रामलीला करते हैं और राम को अपना आदर्श मानते हैं। वह एक सामाजिक नाटक करना चाहते हैं, जिसमें सामाजिक घटनाओं एवं व्यवस्थाओं का चित्रण हो। लेकिन गांव का प्रधान सिरपत जो कि शहरी कल्चर से प्रभावित है और साथ ही नैतिक और चारित्रिक रूप से भ्रष्ट है।

 

 

वो फरमान जारी करता है कि गांव में अब रामलीला नहीं होगी बल्कि रूमांटिक ड्रामा करना होगा। बुल्ला मास्टर इस तरह के नाटक के मंचन या प्रदर्शन को गांव एवं समाज के लिये ठीक नहीं मानता, लिहाजा बुल्ला मास्टर के दोस्त उनकी समस्या को सुनकर उनसे कहते हैं कि रोमांटिक ड्रामा केवल लड़के तो करेंगे नही, इसके लिये एक लड़की की आवश्यकता होगी। तो वो दोस्तों के साथ मिलकर तय करता है कि रोमांटिक ड्रामे में फीमेल कैरेक्टर का किरदार प्रधान की बेटी नगीना से कराया जाए ताकि प्रधान रुमांटिक ड्रामा करने के लिए राजी ना हो और इस तरह के नाटक के मंचन के लिए मना कर दे, लेकिन इसका उल्टा होता है, प्रधान को लगता है इससे उसे चुनाव में फायदा मिलेगा।

 

 

नाटक की रिहर्सल शुरू होती है जिसमें खीसू पटाखाबाज को हीरो बनाया जाता है लेकिन नाटक की रिहर्शल के दौरान नगीना एवं खीशू पटाखेबाज के बीच इश्क हो जाता है और शो से पहले दोनों भाग जाते हैं। पंचायत बैठती है जिसमें इस घटना का जिम्मेदार बुल्ला मास्टर को ठहराकर उसे गांव से बाहर निकालने का फरमान सुनाया जाता है। बुल्ला मास्टर गांव से बाहर जाने पर श्रीराम उनके स्वप्न में आते हैं और उससे कहते हैं ये लो रामलीला की लिपि और फिर से शुरू करो रामलीला। जिससे समाज के आदर्श पुरषेत्तम राजा राम के गुणों एवं जीवन जीने के तरीके को सीखते हुये प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में उतार सके। जिससे एक आदर्श समाज की विश्व में स्थापना हो। जिसके बाद बुल्ला कैसे उस गांव में दमदार वापसी करता है और संस्कृति सभ्यता को खत्म होने से बचाता है।

 

 

नाटक में बुल्ला मास्टर की भूमिका में आनंद मिश्रा, सिरपत प्रधान की भूमिका में अनुज शुक्ला, हजारी की भूमिका में शुभेन्दु चक्रवर्ती ने अपने अभिनय से प्रभावित किया नाटक का संगीत श्री सुरेन्द्र वानखेड़े द्वारा दिया गया था। अन्य पात्रों में समर्थ, प्रभाकर, उदय, अनुराग, उदयभान, मुकेश, सोनाली, अंकित ने सराहनीय अभिनय किया।

 

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