पेड़ कटाई विवाद के साथ जमीन खरीदी-बिक्री और नक्शे में छेड़छाड़ की होगी जांच, एमआरएस मिनरल्स पर लग रहे गंभीर आरोप

विभागीय चुप्पी बढ़ा रहा एम आर एस मिनरल्स का मनोबल

 

सक्ती: डूमरपारा क्षेत्र में एमआरएस मिनरल्स द्वारा सैकड़ों सागौन पेड़ों की कटाई का मामला लगातार गहराता जा रहा है। वन विभाग इसे राजस्व विवाद बताकर किनारा कर रहा है, वहीं राजस्व विभाग भी पिछले पांच वर्षों से मामले का हल नहीं निकाल पाया है। ऐसे में दोनों विभागों की चुप्पी ने संदेह और गहरा दिया है कि आखिर मौन रहकर किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है।

 

सालों से उलझा जमीन विवाद

 

ग्रामीणों का कहना है कि जिस जमीन पर कटाई हुई है, उसका मामला वर्षों से राजस्व अभिलेखों में अटका पड़ा है। इसके बावजूद अनुमति मिलना हैरानी की बात है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग मुद्दे को लंबा खींचकर कंपनी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।

 

एसडीएम की भूमिका पर सवाल

 

मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व(एसडीएम) पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि उन्होंने विवाद का समाधान किए बिना ही पेड़ों की कटाई की इजाजत दे दी। अब ग्रामीण पूछ रहे हैं कि जब अनुमति देने वाले ही संदेह के घेरे में हों, तो जांच पारदर्शी कैसे होगी?

 

खरीदी-बिक्री में गड़बड़ी और राजस्व हानि

 

पेड़ कटाई विवाद के साथ ही कंपनी पर जमीन खरीदी-बिक्री में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायत में कहा गया है कि एमआरएस मिनरल्स ने स्टाम्प ड्यूटी चोरी की और वास्तविक स्थिति छिपाकर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।

 

इसके अलावा खसरा नंबर 2333/8 और 2333/9 के मामले में नक्शा और मिसल से छेड़छाड़ कर जमीन को दूसरी जगह दर्शाने की शिकायत भी सामने आई है।

 

ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय मिलीभगत से ही यह कटाई संभव हुई है। लोगों की नाराजगी इस कदर है कि अब वे खुलकर चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जांच और कार्रवाई पारदर्शी नहीं हुई तो गांव में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

 

शिकायतकर्ता गेंद राम मनहर (मंडल अध्यक्ष, भाजपा, बाराद्वार मंडल) का आरोप है कि –

एमआरएस मिनरल्स ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी-बिक्री कर स्टाम्प ड्यूटी चोरी की।

नक्शे और मिसल में गड़बड़ी कराई गई।

राजस्व व वन विभाग की मिलीभगत से ही सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई संभव हो सकी।

उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर निष्पक्ष जांच और ठोस कार्यवाही नहीं हुई तो यह मामला जन आंदोलन का रूप लेगा।

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