
एबीवीपी के नेता मुद्दों की राजनीति को छोड़ ख़ुद को चमकाने के लिए करते हैं विरोध की राजनीति : कुलपति प्रोफेसर लवली शर्मा
RSS की विचारधारा से नहीं है मेरा कोई सरोकार, मैंने अपनी योग्यता के बल पर हासिल किया है मुक़ाम

रायगढ़: देश के प्रतिष्ठित 40 वें ऐतिहासिक सांस्कृतिक चक्रधर समारोह में सितार वादन के लिए इंदिरा कला संगीत विश्विद्यालय खैरागढ़ की कुलपति प्रोफ़ेसर लवली शर्मा रायगढ़ पहुंची थीं।

प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि वो आकाशवाणी दूरदर्शन में बी हाई ग्रेड कलाकार हैं। प्रेसवार्ता में उनसे जब पूछा गया कि “राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्विद्यालय ग्वालियर में जब आप कुलपति नियुक्ति हुईं, तो मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और अब आप खैरागढ़ विश्विद्यालय की कुलपति नियुक्त हुईं, तो भी छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, तो क्या आप आरएसएस की विचारधारा से आती हैं। इस सवाल के जवाब में उन्होंने तुरंत इस प्रश्न का खंडन करते हुए कहा कि “मैं आरएसएस की विचारधारा से नहीं आती और ना ही आरएसएस से मेरा कोई लेना देना है।”
इसी के साथ ही संस्कार भारती के उनके जुड़ाव के संबंध में उन्होंने दो टूक कहा कि मुझे केवल संसाधनों और कार्यक्रम से मतलब है, मैं अपनी योग्यता के बल पर यहां तक पहुंची हूं।
प्रोफ़ेसर लवली शर्मा से जब पूछा गया कि “आपको निष्कासित क्यों किया गया था, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मुझे निष्कासित नहीं बल्कि रिलीव किया गया था, कहां के लिए रिलीव किया गया था पूछने पर प्रोफ़ेसर शर्मा ना तो कुछ बोल सकीं और ना ही संतोषजनक जवाब दे सकीं।

बातचीत के दौरान जब उनसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ग्वालियर और खैरागढ़ में विरोध का कारण पूछा गया तो प्रो शर्मा ने कहा कि “विद्यार्थी परिषद मुद्दों की राजनीति की बजाय केवल विरोध के लिए विरोध की राजनीति करता है। उनके नेता ख़ुद को चमकाने के लिए विरोध करते हैं।”
उल्लेखनीय है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर लवली शर्मा पर राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय ग्वालियर में कुलपति रहते हुए कई आर्थिक और प्रशासनिक अनियमितता के आरोप लगे थे, जिसके कारण उन्हें राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्विद्यालय ग्वालियर से निष्कासित भी किया गया था। यहां उनका कार्यकाल विवादों भरा रहा। खैरागढ़ विश्विद्यालय में भी पहले विद्यार्थीयों ने फिर कर्मचारियों ने उनका विरोध किया था।

” खैरागढ़ विश्विद्यालय के नियम और परंपरा के अनुसार 15 अगस्त को ध्वजारोहण सुबह 8 बज के 30 मिनट पर होना था परन्तु सुबह 10 बज कर 15 मिनट पर ध्वजारोहण किया गया, यह भी खैरागढ़ में असंतोष का विषय बना था।”



