
सक्ती जिला, सक्ती के लिए अभिशाप या वरदान, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने छीना सक्ती वासियों का हक,
सक्ती: आखिरकार प्रशासन के आगे सभी दलों के जनप्रतिनिधि बौने साबित हुए और प्रशासन ने किसी भी ज्ञापन अथवा जनभावना के साथ किए गए निवेदन को नजरअंदाज करते हुए अपनी मर्जी से गणतंत्र दिवस के आयोजन की तैयारी पूरी कर ली और जनभावना को धता बताकर जेठा ग्राम पंचायत अंतर्गत आनेवाले कलेक्ट्रेट ग्राउंड में गणतंत्र दिवस मनाया जाना तय किया है।
सक्ती नगर में स्थित पंडित दीनदयाल स्टेडियम में विगत कई वर्षों से चली आ रही परम्परा का अंत किया जाना सक्ती वासियों के लिए अभिशाप बन रहा है।
आजतक लगभग सभी छोटे बड़े आयोजन इस स्टेडियम में नगर वासियों ने देखा है मगर जिस दिन से जिला अस्तित्व में आया है उसी दिन से इस स्टेडियम को नजरअंदाज किया जा रहा।
लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अंतर्गत किसी भी राज्य सरकार का प्रथम दायित्व यह होता है कि सरकार जनता के हित और कल्याण को ध्यान में रखकर कार्य करे, जनभावना का सम्मान करे जिससे आम जनता की भावना और हित पर कुठाराघात ना हो।
राज्य की कांग्रेस सरकार के द्वारा सक्ती को जिला बनाया गया यह सक्ती वासियों के लिए गर्व की बात है मगर जिला बनने का आज तक प्रत्यक्ष लाभ सक्ती नगर वासियों को नहीं मिला वरन जो नगर के हाथ में था वह जिला की भेंट चढ़ गया।
नगर के गौरव के रूप में स्थित स्टेडियम में नगर के सभी स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था जिसमें नगर वासी भी उत्साहित होकर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में भाग लेकर अपने देश और गणतंत्र के प्रति आदर भाव रखकर सम्मिलित होते थे।
मगर आज प्रशासन की जिद या मनमानी के चलते नगरवासी उक्त गणतंत्र दिवस के आयोजन में सम्मिलित होने से वंचित हो रहे हैं। स्थानीय स्कूली बच्चों के अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के कार्यक्रम को देखने नगर से दूर जेठा नहीं जा सकते इससे बच्चों को भी कार्यक्रम के प्रति कोई उत्साह नहीं रहेगा, वर्तमान स्थिति में प्रशासन के दबाव में स्कूल प्रबंधन है और स्कूल प्रबंधन के दबाव में स्कूली बच्चों के द्वारा कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जाएगी।
आसपास के जिला मुख्यालयों को यदि देखा जाए तो अधिकांश स्थानों में कलेक्टर कार्यालय में ध्वजारोहण के पश्चात जिला अंतर्गत स्थानीय सामूहिक कार्यक्रम कलेक्टर ग्राउंड में नहीं किए जाते हैं। राज्य सरकार द्वारा तय किए गए अतिथि के द्वारा ध्वजारोहण का जो कार्यक्रम होता है वह किसी अन्यत्र ऐसे स्थल पर किया जाता है जो कि पारम्परिक हो,सर्व सुविधा युक्त तथा आम जनता के लिए सुलभ हो।
ये सक्ती नगर वासियों का दुर्भाग्य ही है कि ” भाड़ में जाए जनता,अपना काम बनता ” की तर्ज पर लगभग सभी दलों के जनप्रतिनिधि अपना अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं और जन भावना और जनहित के मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं। जनता के बीच पनप रहे आक्रोश को नजर अंदाज करना और जनता की भावना से खिलवाड़ करना आने वाले समय में जनप्रतिनिधियों को कहीं भारी न पड़ जाए।



