पूरे भारत को एक सूत्र में बांधने की कोशिश है,भारत जोड़ो यात्रा–राईस किंग खूंटे

सक्ती: अखिल भारतीय कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में राहुल गांधीजी ने देश की परिस्थितियों की ओर इशारा करते हुए कहा था कि “आज हमें देश के हालात के बारे में चर्चा करने की इजाजत नहीं है। संसद में बोलो तो हमारे माइक बंद कर दिए जाते हैं।आज न्यायपालिका दबाव में है। संवाद की परम्परा को रौंद दिया गया है,इस देश की संस्थाओं को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है, मिडिया भी अपना काम नहीं कर पा रही है, देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। महंगाई और बेरोज़गारी इतिहास की सबसे बड़ी समस्या बन गई है।अब सवाल यह है कि कांग्रेस को क्या करना चाहिए—हमारी जिम्मेदारी जनता के साथ खड़े होने की है, हमें जनता के पास जाना पड़ेगा, हमारे लिए नहीं,देश के लिए, हमें बिना कुछ सोचे जनता के बीच जाना चाहिए।”
इसके बाद रामलीला मैदान में हुई महंगाई रैली में भी उन्होंने दोहराया कि सारी संस्थाएं, एजेंसियां,मिडिया और अदालतें जनता से छीन ली गई हैं।अब हमें जनता के अदालत में जाना होगा। दुर्भाग्य से मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग इस महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरंदाज किया और विपक्ष की इस चिंता पर ध्यान नहीं दिया।
देश के इतिहास की ओर देखें तो बुद्ध, महावीर,केशकंबली और सम्राट अशोक के जमाने से ही हमारे समाज में यात्राओं के प्रति जनता के मन में एक आध्यात्मिक किस्म का आदर रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जनता के मन में यात्रा के प्रति अपार श्रद्धाभाव है। 07 सितम्बर को महात्मा गांधीजी और स्वामी विवेकानंद जी का आशीर्वाद लेकर शुरू हुई यह यात्रा केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश होते हुए राजस्थान पहुंच चुकी है और अभी देश के तमाम पवित्र स्थलों, महापुरुषों और जनता-जनार्दन की दर से होकर गुजरना है।
याद करने वाली बात है कि भारत के दक्षिण से लौटकर ही राम जी नायक बने थे, शंकराचार्य की जिस यात्रा ने भारत में सांस्कृतिक, धार्मिक समन्वय स्थापित किया,वह भी दक्षिण भारत से उत्तर की ओर आई। दक्षिण से चलकर ही आलवरों और अक्का महादेवी की भक्ति महाराष्ट्र के वरकारियों से होती हुई कबीर,नानक,सूर, रसखान और तुलसी तक पहुंची और भक्ति आंदोलन का सूत्रपात हुआ।
कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि ‘भारत तो एक है, फिर राहुल गांधी क्या जोड़ने निकले हैं?’पर अब इसका जवाब जनता जनार्दन ने जनसैलाब उमड़ कर, यात्रा में शामिल होकर दे दिया है।
राहुल गांधीजी जनता की अदालत में यही फरियाद लेकर गये हैं कि भारत के महान् पूर्वजों ने अपना खून बहाकर,अपनी शहादत देकर, दुनिया भर में प्रतिष्ठा पाने वाला लोकतंत्र का मंदिर खड़ा किया था,जिसे ढहाया जा रहा है और अब इसे बचाने की जरूरत है।देश संवैधानिक संस्थाओं को विपक्षी नेताओं का शिकार करने के काम में लगा दिया गया है।देश में न्यायपालिका को सत्ता पक्ष का बंदी बना दिया गया है।जनता की जिंदगी, दिनचर्या से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं की जा रही है। राजनीतिक विद्वेष के तहत ‘विपक्ष मुक्त भारत’ अभियान कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कंधे पर लाद दिया गया है। सबसे हैरानी की बात यह है कि ये एजेंसियां उसे ढोये जा रही है।
अंत में आखिर रास्ता क्या बचा है?
भारत जोड़ो यात्रा के जरिए भारत की जनता को एकजुट होकर अपने पूर्वजों के बलिदान की कीमत पर हासिल लोकतंत्र पर पुनः दावा ठोंकना है,परे भारत एकसूत्र में जोड़ना है और देश की दिशा को शांति, समृद्धि और सौहार्द भाईचारा की तरफ मोड़ना है। अब फैसला जनता जनार्दन के हाथ में है।

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