
नगर के सटोरिए अब ग्रामीण क्षेत्रों को बना रहे अपनी कर्मभूमि
शहर शांत हो गया लेकिन ग्रामीण क्षेत्र अब सट्टा जुआ के दलदल में धंसते दिख रहें हैं
सक्ती: नगर को सट्टा एवं जुआ का गढ़ कहा जाता है वहीं रूपक शर्मा के थाना प्रभारी बनने के बाद से नगर में चल रहे अवैध कारोबार में काफी अंकुश लगा है। साथ ही जुए के बड़े बड़े फड़ बंद हुए है और जुआ के सरदार फरार भी चल रहे हैं।
ज्ञात हो कि सक्ती नगर सट्टा एवं जुआ का गढ़ माना जाता है वहीं नगर गांजा एवं नशीली दवाओं का भी अब गढ़ बनता जा रहा है। वैसे तो प्रदेश के पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी जब से पुलिस विभाग के मुखिया बने हैं तबसे लगातार उनके द्वारा अवैध कारोबारियों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस अधीक्षकों एवं थानेदारों को हिदायत दी जाती रही है, मगर ढाक के तीन पात की तरह उनकी हिदायतों की लगातार अवहेलना भी होती रही है। जबसे रूपक शर्मा सक्ती थाने के थानेदार बने उसके बाद से ही सटोरियों और जुआड़ियों में भय व्याप्त है जिससे अब नगर में सट्टा जुआ एवं अवैध कारोबार में काफी हद तक कमी भी देखने को मिली है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब अवैध कारोबारी अपने धंधों को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाते दिख हैं। सूत्र बताते हैं कि नगर के बड़े पट्टी सटोरिये अब रगजा , मसनिया, नंदेली, बोइरडीह सहित दर्जनों गांवों में सट्टा पट्टी का काम करा रहे हैं वहीं सिंगनसरा,नावापारा, रायपुरा, सिरली,पोरथा, जेठा, बोरदा, सकरेली,नवापारा सहित दर्जनों गांव में नगर के सभी खाईवाल अब नगर छोड़ गाँव में पैर पसार रहे हैं। अब लोगों का कहना है कि नए थानेदार साहब के कारण फिलहाल तो नगर में शांति है तथा अपराधी या तो दुबक गए हैं या नगर छोड़ कहीं अन्यत्र चले गए हैं। मगर कुछ जीवट किस्म के अवैध कारोबारी अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी साख बना रहे है और गांव को इस दलदल में डुबो रहें हैं। यहां यह भी बताते चलें कि कुछ अवैध कारोबारी बड़ी राजनीतिक पहुंच भी रखते हैं जिसके कारण अधिकतर सरकारी अमलों को भी इनके रसूख के आगे झुकना पड़ता है। ऐसे में कांग्रेस की जनहितैषी भूपेश सरकार कैसे अवैध कारोबार पर शिकंजा कसेगी यह भी सवाल उठता है।



