प्रशासन के एकतरफा निर्णय के विरोध में ऐतिहासिक नगर बंद, जनता ने दिया स्पष्ट संदेश,नहीं चलेगी मनमानी

जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा, पूर्ण नगर बंद,

सक्ती: सक्ती को जिला बनाए जाने पर आम जनता ने प्रदेश के मुखिया एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा स्थानीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का दिल खोल कर धन्यवाद ज्ञापित किया था। जनता की बहुप्रतीक्षित मांग जो कि कई वर्षों तक अटकी हुई थी जिसको कांग्रेस के शासन में पूर्ण किया गया।
गौरतलब बात यह है कि सक्ती के साथ साथ जितने भी अन्य जगहों पर जिले की घोषणा की गई उन सभी स्थानों के नाम के साथ अन्य स्थानों के नाम भी जोड़े गए पर सक्ती ही इकलौता ऐसा जिला बना जो कि सिर्फ सक्ती के नाम पर रहा और इस पर कभी कोई विवाद नहीं हुआ।
एक कहावत है कि हर अच्छे कार्य में कोई न कोई बाधा आती है, इसी बात को सिद्ध करने प्रशासनिक अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जिले का निर्माण जनता के हित एवं सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जाता है ताकि आम जनता की पहुंच शासन प्रशासन तक हो और जनता अपनी समस्या का निराकरण त्वरित करा सके। मगर इस बात से प्रशासनिक अधिकारियों को कोई लेना देना नहीं है।
सक्ती नगर एवं आसपास पर्याप्त मात्रा में जिला कार्यालय खोले जाने हेतु जिला संघर्ष मोर्चा के द्वारा स्थानीय इमारतों की जानकारी दी गई मगर प्रशासन के हठधर्मिता के कारण प्रशासन द्वारा एकतरफा निर्णय लेते हुए नगर से दूर जेठा ग्राम में स्थित महाविद्यालय के भवन को चयनित करते हुए स्थानीय कलेक्ट्रेट कार्यालय के लिए चयनित कर बुधवार 8/6/22 को आनन फानन में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी का कार्यालय बनाकर ब्लाक स्तर के अधिकारियों की बैठक भी ले ली गई।
जनता के हितों के साथ कुठाराघात होते देख संघर्ष मोर्चा ने इस निर्णय के विरुद्ध ज्ञापन सौंपकर जनभावना से अवगत कराया तथा प्रशासन के निर्णय के विरुद्ध 9 जून को नगर बंद का निर्णय लिया।
सक्ती की जनता ने 9 जून को बंद के निर्णय का स्वागत करते हुए पूर्ण बंद का सफल आयोजन कर शासन और प्रशासन के समक्ष अपनी मंशा जाहिर कर दिया तथा अपनी मांगों के प्रति अपनी एकजुटता का परिचय दिया।

 

 

 

 

 

 

नहीं रुकेगा आंदोलन:

 

जिला संघर्ष समिति के द्वारा बताया गया कि यदि अब भी प्रशासन अपने निर्णय का पुनरावलोकन नहीं करती है तो आगे क्रमशः चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा एवं प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास मिलकर अपनी बात रखी जाएगी और प्रशासन के एकतरफा निर्णय के दुष्प्रभाव को बताया जाएगा।

 

 

पुलिस एवं प्रशासन की नजर:

 

 

 

 

पूरे नगर बंद के दौरान भारी संख्या में नगर के चप्पे चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी जिससे किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। स्थानीय प्रशासन की मुखिया रेना जमील खुद सड़कों पर उतर कर बंद का जायजा लेती रहीं और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारियों को निर्देश देती रहीं।

 

 

ऐतिहासिक बंद:

नगर के इतिहास में कभी भी ऐसा बंद नहीं देखा गया। स्थानीय नागरिकों से चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि कोरोना काल के दौरान लॉक डाउन भी कभी इतना सफल नहीं रहा जितना कि 9 जून को प्रशासन के निर्णय के विरुद्ध सफल रहा।

स्वस्फूर्त बंद का अब प्रशासन पर क्या असर होता है यह देखने वाली बात होगी, जनता की भावना और जनता की आवाज अब यहीं नहीं रुकेगी जनता हर स्तर पर जाकर अपनी बात रखने का मन बना चुकी है। प्रशासन के निर्णय के विरुद्ध जनता ने अपनी एकजुटता दिखाकर यह साबित कर दिया कि जनता ही सर्वोपरि है और जनता ही सर्वोपरि रहेगी।

जिला कार्यालय सक्ती में ही रखने की मांग के समर्थन में ऐतिहासिक बंद को सफल बनाने में नगर की जनता ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। बंद को शांतिपूर्ण ढंग से सफल करने में जिला संघर्ष मोर्चा के मार्गदर्शन में सदस्यगण,सर्वसमाज,पत्रकारगण,अधिवक्तागण का विशेष सहयोग रहा।

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क्या सक्ती जिला अपनी आशानुरूप जिला स्तर का स्वरूप प्राप्त कर रहा है ??

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