
राजमहल मामले पर राजा धर्मेंद्र सिंह ने रखी अपनी बात, कहा मैं ही राजा साहब का असली वारिस, राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने पूरे सामाजिक रीति रिवाज से लिया मुझे गोद,सभी दस्तावेज उपलब्ध,,

सक्ती– आज प्रेसवार्ता में धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि सक्ती स्टेट का हरि गुजर पैलेस (पीला महल) कोई प्रॉपर्टी नहीं, अपितु पूरे क्षेत्र के लोगों की एक धरोहर है, इस धरोहर को सदैव सुरक्षित रखना ही मेरी एवं मेरे परिवार की जिम्मेदारी है, मेरे पिताजी राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने सदैव इस धरोहर को सहेज कर रखा एवं मैं भी अपने परिवार के साथ सदैव इस धरोहर को एवं इसकी छवि को धूमिल होने नहीं दूंगा एवं मुझे अगर अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं उसके लिए तैयार हूं।
मीडिया से अपनी बात कहते हुए राजा धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि 25 जून की घटना से मैं स्तब्ध हूँ उस दिन महल में मेरी पत्नी एवं कुछ कर्मचारी महल के परिसर में थे, तभी श्रीमती गीताराणा सिंह अपने साथ अपने समर्थकों को लेकर जबरन महल में घुस गईं तथा साथ आए लोगों ने महल में उपस्थित लोगों के साथ मारपीट तथा लूटपाट की घटना को अंजाम दिया। गीताराणा सिंह के द्वारा साथ लाए गए अपने समर्थकों तथा असामाजिक तत्वों के द्वारा एक अकेली महिला जानकर बलात रुप से महल में घुसकर मेरी पत्नी के साथ मारपीट एवं कर्मचारी रतीराम के साथ मारपीट की गई उनका हाथ ही टूट गया और भी कर्मचारी घायल हुए मेरी पत्नी को गेट से बाहर कर दिया गया ताला लगा करके अंदर आने नहीं दिया। इस अप्रत्याशित घटना से मेरे पत्नी पुलिस थाना गई जहां से पुलिस आकर एवं स्थानिक लोगों ने हमारी मदद की।
महल में घुसकर मारपीट करना काफी अशोभनीय है 25 जून की घटना में मेरे परिवार को सुरक्षित करने के लिए दिए गए अपने योगदान के लिए पुलिस प्रशासन एवं क्षेत्र की जनता का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरे परिवार को सुरक्षित करने में सहयोग किया।
धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि श्रीमती गीताराणा सिंह अगर महल आना चाहती थी तो उन्हें कौन रोकता लेकिन 40-50 लोगों को साथ में लाकर मारपीट जैसे घटना को अंजाम दिया गया आज भी मेरी पत्नी दहशत में है मेरी पत्नी उन सभी को जानती है और थाने जाकर नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। जितने भी लोगों के नाम रिपोर्ट में दर्ज है वे सभी महल में घटना के समय पर मौजूद थे। साक्ष्य छिपाने के लिए महल में लगे DVR को निकालकर ले गए ताकि कोई सबूत न रहे मगर महल में अन्य जगहों के कैमरे की रिकॉर्डिंग पर्याप्त है दोषियों को सजा दिलाने के लिए।
राजा धर्मेंद्र सिंह ने आगे कहा कि राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने उन्हें सामाजिक रूप से एवं सामाजिक विधि विधान से गोद लिया था, श्री सिंह ने कहा कि राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के जीवित रहते हुए ही मां महामाई दाई मंदिर, जवाहरलाल नेहरु महाविद्यालय एवं तुर्रीधाम मंदिर को एक पृथक समिति का गठन कर उसका सफल संचालन किया जा रहा है जिसपर भी गीताराणा सिंह को आपत्ति है।
जो खुद फर्जी दस्तावेज के सहारे भारत में हैं वो दूसरों पर लगा रही फर्जी होने का आरोप
धर्मेंद्र सिंह ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि श्रीमती गीता राणा सिंह नेपाली मूल की हैं तथा उनका पासपोर्ट 2029 तक वैध है। भारत में दोहरी नागरिकता लेने का नियम नहीं है तो सवाल यह उठता है कि जब वे आज पर्यंत नेपाली पासपोर्ट का उपयोग कर रही हैं तो फिर किस आधार पर वह भारत की नागरिक हैं। यह जांच का विषय होना चाहिए कि एक तरफ तो वे नेपाल की नागरिक हैं वहीं दूसरी तरफ वो अदालत में भारतीय होने का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं।
उनके खुद के ही दस्तावेज फर्जी हैं और वो दूसरों को फर्जी कहती हैं।
राजा धर्मेंद्र सिंह ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि मैं भारत सरकार तथा मीडिया से आग्रह करता हूँ कि इस मामले का संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई करने में सहयोग प्रदान करें जिससे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर एक साथ भारत तथा नेपाल की दोहरी नागरिकता की पोल खुल सके।



