बाराद्वार क्षेत्र में गुरु श्री मिनरल्स का करोड़ों का डोलोमाइट घोटाला, प्रशासन की शिथिलता से भ्रष्टाचार के आरोप गहराए, जिले को मिलने वाली राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी

 

सक्ती : डुमरपारा बाराद्वार क्षेत्र में सक्रिय गुरु श्री मिनरल्स द्वारा डोलोमाइट उत्खनन में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला न केवल स्थानीय जनता के लिए चिंता का विषय बन गया है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद प्रशासनिक तंत्र की धीमी गति और खामोशी ने इस घोटाले को और अधिक जटिल बना दिया है जिससे जनता में आक्रोश फैल रहा है।

 

शिकायतों के बावजूद कार्रवाई का अभाव

 

ग्राम छीता पड़रिया में बंद पड़ी खदान पर गुरु श्री मिनरल्स के खिलाफ शिकायतकर्ता ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सबसे प्रमुख आरोप यह है कि बंद खदान पर भी खनिज विभाग द्वारा रॉयल्टी जारी की जा रही है। साथ ही यह भी आरोप है कि 31 साल के लीज़ की अवधि में खदान को महज 10 साल में ही इतनी बुरी तरह खोदा गया कि रॉयल्टी चोरी जैसी गड़बड़ियों की संभावनाएं बढ़ गई हैं। शिकायतकर्ता ने प्रशासन से इन मामलों की जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है, लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

 

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

 

प्रशासनिक अमले की भूमिका इस पूरे मामले में संदेह के घेरे में है। शिकायतों के बावजूद खदान संचालक पर कोई कार्रवाई न किया जाना इस ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का गहरा संबंध है। यदि प्रशासन ने समय रहते इस पर कार्रवाई की होती, तो सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिल सकता था। परंतु जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं और उनकी निष्क्रियता को देखकर लगता है कि वे खुद भी भ्रष्टाचार में हिस्सेदार हो सकते हैं।

 

घोटाले से सरकारी खजाने को नुकसान

 

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस डोलोमाइट उत्खनन में हुई अनियमितताओं से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। यदि प्रशासन तुरंत जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई करता है, तो न केवल घोटालेबाजों पर शिकंजा कसा जा सकता है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी बचाया जा सकता है। लेकिन फिलहाल खदान संचालक को भ्रष्टाचार और प्रशासनिक ढिलाई का फायदा मिल रहा है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता जा रहा है।

 

आम जनता में आक्रोश

 

गुरु श्री मिनरल्स द्वारा की जा रही अनियमितताओं से स्थानीय जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। डोलोमाइट उत्खनन से पर्यावरण को हो रहा नुकसान और खदान से जुड़ी वित्तीय गड़बड़ियों ने ग्रामीणों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन इसी तरह आंखें मूंदे रहेगा, तो भविष्य में और भी बड़े घोटाले हो सकते हैं, जिससे न केवल राज्य का राजस्व प्रभावित होगा, बल्कि आम जनता का जीवन भी संकट में पड़ सकता है।

 

 

अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस मामले में जागता है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करता है। यदि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच होती है और उचित कार्रवाई की जाती है, तो यह न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर रोक लगाएगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को भी रोका जा सकेगा। जनता को उम्मीद है कि जल्द ही उनके सवालों के जवाब मिलेंगे और घोटालेबाजों पर नकेल कसी जाएगी।

 

गुरु श्री मिनरल्स के डोलोमाइट उत्खनन में हो रही गड़बड़ियों से सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। प्रशासनिक ढिलाई और भ्रष्टाचार की मिलीभगत से इस घोटाले की जड़ें और गहरी हो रही हैं। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला और भी बड़े आर्थिक क्षति का उदाहरण बनेगा और सक्ती जिले को मिलने वाली राजस्व राशि के संकट का कारण बन सकता है।

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