नरवा गरवा घुरवा बारी , नगर विनाश के चार चिन्हारी

सक्ती: प्रदेश सरकार नरवा गरवा घुरवा और बारी हमर प्रदेश के चार चिन्हारी को लेकर काफी प्रचार प्रसार कर रही है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चारों ही योजनाओं को लेकर कार्य भी हो रहे हैं मगर इसके विपरीत नगरीय क्षेत्र में इन चारों योजनाओं का एक अलग ही नजरिए से मजाक का विषय बना हुआ है।
सक्ती नगरपालिका प्रशासन छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं को अपने अलग ही अंदाज में चरितार्थ/लागू कर रही है।
पालिका प्रशासन के द्वारा छत्तीसगढ़ शासन की नरवा योजना को नगरप्रशासन उल्टे रूप में ले रही है। नरवा योजना में पानी के बहाव को सुनिश्चित किया जाता है वहीं सक्ती नगर की नालियों की स्थिति काफी जर्जर और दयनीय हो गई है मगर इस ओर नगर के पालिका अध्यक्ष एवं पालिका प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रही है। नगर की नालियों में कचरा फंसा पड़ा है जिससे नालियों में पानी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है।

 

 

पूरे छत्तीसगढ़ में गरवा हेतु क्षेत्र निर्धारित कर गोठान योजना चलाई गई है मगर सक्ती नगर में पूरा शहर ही गोठान नजर आ रहा है आवारा पशु यत्र तत्र सड़क पर नजर आते हैं जिनके कारण लगातार दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। वहीं स्थानीय प्रशासन व नगर के जनप्रतिनिधिगण भी इस मुद्दे पर अपनी आंखे मुंदे बैठे हैं।

 

 

अब बात की जाए अगली योजना घुरवा की जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में घुरवा बनाकर जैविक खाद मुहैय्या कराने प्रदेश सरकार द्वारा एक सार्थक योजना प्रारंभ की गई है मगर इसके बिल्कुल विपरीत सक्ती नगर की बात करें तो यहां पालिका प्रशासन पूरे शहर को जगह जगह से घुरवा बनाने में लगी है। गली मोहल्लों में कचरे पड़े हुए हैं जिसे लोग अब भूपेश सरकार की घुरवा योजना कहने लगे हैं साथ ही इन कचरों के कारण लगातार बीमारियों का भी अंदेशा बना हुआ है चूंकि प्लास्टिक की चीजें गलती नहीं हैं इस कारण वह एक जगह रखे रखे सड़ रही हैं जिससे कई तरह की महामारी के जन्म लेने का अंदेशा बनता दिखाई दे रहा है।

 

 

 

सरकार की चौथी योजना बारी जैसा हाल तो नगर में खूब देखा जा रहा है, सड़क किनारे खाली ज़मीनों पर जंगली एवं जहरीले पौधे उग आए हैं जिनका स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई साफ सफाई नहीं किया जाना अपने आप में ही प्रशासनिक शून्यता को दर्शाता है।

 

 

नगर में वर्तमान कांग्रेस समर्थित नगर पालिका अध्यक्ष पद पर आसीन श्रीमती सुषमा जायसवाल ने जब अपने पद की शपथ ली थी तबके बाद से ही जब जब भी वो पत्रकारों से रूबरू हुईं उन्होंने कहा था कि नगर की सुंदरता और स्वच्छता ही मेरी अहम और पहली प्राथमिकता होगी। मगर आज डेढ़ साल बाद भी ” वादे हैं वादों का क्या ” की तर्ज पर स्वच्छता के नाम पर नगर गंदगियों से पटा पड़ा है। नगर के गली मोहल्लों के सड़कों की हालत भी काफी दयनीय बनी हुई है। लोगों का कहना है कि नगर में कांग्रेस के पालिकाध्यक्ष हैं, क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक व प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है बावजूद इसके नगर की दुर्दशा, नगर में फैली गंदगी इस बात को साबित करती है कि स्थानीय मुद्दों से नगर अध्यक्ष, क्षेत्र के विधायक तथा प्रदेश सरकार को भी कोई सरोकार नहीं है। यहां बताते चलें कि स्थानीय विधायक स्वयं विधानसभा अध्यक्ष हैं एवं पूर्व में भी सत्ता के कई बड़े पदों में आसीन रहे हैं वहीं सक्ती को उनका गढ़ कहा जाता है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि पालिकाध्यक्ष पति स्वयं भी नगर कांग्रेस अध्यक्ष हैं जो कि विधानसभा अध्यक्ष के खास समर्थक भी हैं।

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क्या आम जनता सक्ती नगर पालिका के द्वारा नगर के लिए किए गए कार्यों से संतुष्ट है ???

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