कुम्हारों को राज्य सरकार से मिली छूट का फायदा अवैध कारोबारी उठा रहे
सक्ती: कुम्हार जाति के लोगों को जीवन यापन के लिए समय समय पर राज्य सरकार द्वारा रियायत के साथ परंपरागत साधनों हेतु छूट दी जाती है।
सक्ती क्षेत्र में ऐसे बहुत से कुम्हार जाति के लोग निवासरत हैं जो अपनी परंपरा के अनुसार कवेलू, बर्तन या ईंट बना अपना जीवन यापन करते हैं। साथ ही राज्य सरकार ने अपने आदेशों में कुम्हारों के लिए बहुत से छूट दिए हैं ताकि कुम्हार जाति अपने जीविकोपार्जन के लिए अपने पुरखों के कार्य को आगे बढ़ा सके। वहीं खनिज शाखा द्वारा छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 (एक) के तहत अनुवांशिक कुम्हार द्वारा परंपरागत साधनों से कवेलू, बर्तन, मिट्टी की मूर्तियां या ईंट बनाने हेतु क्लस्टर में निवासरत कुम्हारों को 5 एकड़ शासकीय भूमि सुरक्षित करने हेतु समस्त अनुविभागीय अधिकारियों सहित तहसीलदार, नायब तहसीलदार को निर्देशित भी किया गया है। मगर आज भी क्षेत्र के कुम्हार सरकारी फायदों से वंचित हैं और अति गरीब की श्रेणी में जीवन यापन करने मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि पहले इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, लेकिन समय बढ़ते धीरे धीरे कुम्हारों की रियायत को स्थानीय प्रशासन द्वारा कुचल दिया गया और आज की स्थिति में स्थानीय अधिकारियों को भी यह तक याद नहीं है कि कुम्हारों को सरकारी जमीन भी मुहैया करानी है। कुम्हार जाति के लोग अपनी आवाज तो उठाते हैं लेकिन उनकी आवाज स्थानीय प्रशासन के कानों तक पहुंच कर भी नहीं पहुंच रही है। लगातार उपेक्षित कुम्हार किसका दरवाजा खटखाटाएँ अब उन्हें भी समझ नहीं आ रहा है। इस संबंध में कुम्हार जाति के मोनू प्रजापति ने बताया कि स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से अपनी मांग तो रखते हैं लेकिन क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे के मालिकों का इतना दबाव है कि स्थानीय प्रशासन भी इनके रसूख के सामने चाह कर भी हम कुम्हारों की कोई मदद नहीं कर पाता है। स्थानीय अधिकारी तो कहते हैं कि आप लोग नियम के अनुसार अपना काम कीजिए मगर अवैध ईंट भट्ठे के संचालकों द्वारा जांजगीर स्तर के अधिकारियों से हमारे कार्यों पर जबरन दबाव पूर्वक कार्रवाई करवा देते हैं और हमें हमारी परंपरागत कार्यों से दूर कर रहें है।